निर्मल धवल सुखद हो वसुधा
सबकी हो अभिलाषा
मेरी भी पहचान बने
मन में छोटी - सी आशा ।
चाह नहीं है धन - वैभव की
कर्म-निष्ठ हो जीवन
संयम, नियम, अपार ज्ञान से
परिपूरित हो यह मन।
विश्व-विजयिनी मानवता का
स्नेह अतुल मिल पाता,
मेरी भी पहचान बने
मन में छोटी - सी आशा।
यदि छोड़ना कुछ पड़ जाए
त्याग सकूँ मैं निज-हित
दम्भ - लोभ और स्वार्थ रहित
सच्चे मन से हो परहित।
देशप्रेममय जीवन बन
जाए सबकी अभिलाषा
मेरी भी पहचान बने
मन में छोटी - सी आशा।
कटु-ईर्ष्या के प्रति भी मन में,
ना पनपे कोई विद्वेश,
उत्तर ममता हो आलोड़ित
द्नेश नहीं हो स्नेह विशेष
धरणी-सा वात्सल्य हृदय में
सबकी हो अभिलाषा ।
मेरी भी पहचान बने
मन में छोटी - सी आशा।
विस्तार गगन - सा पाए यह मन
सागर सा - गम्भीर
भीषण दुख की कातरता भी
कर पाए ना अधीर
मानस - मंथन आकुल हो
नवनीत करुण अपनाता
मेरी भी पहचान बने
मन में छोटी - सी आशा।
सबकी हो अभिलाषा
मेरी भी पहचान बने
मन में छोटी - सी आशा ।
चाह नहीं है धन - वैभव की
कर्म-निष्ठ हो जीवन
संयम, नियम, अपार ज्ञान से
परिपूरित हो यह मन।
विश्व-विजयिनी मानवता का
स्नेह अतुल मिल पाता,
मेरी भी पहचान बने
मन में छोटी - सी आशा।
यदि छोड़ना कुछ पड़ जाए
त्याग सकूँ मैं निज-हित
दम्भ - लोभ और स्वार्थ रहित
सच्चे मन से हो परहित।
देशप्रेममय जीवन बन
जाए सबकी अभिलाषा
मेरी भी पहचान बने
मन में छोटी - सी आशा।
कटु-ईर्ष्या के प्रति भी मन में,
ना पनपे कोई विद्वेश,
उत्तर ममता हो आलोड़ित
द्नेश नहीं हो स्नेह विशेष
धरणी-सा वात्सल्य हृदय में
सबकी हो अभिलाषा ।
मेरी भी पहचान बने
मन में छोटी - सी आशा।
विस्तार गगन - सा पाए यह मन
सागर सा - गम्भीर
भीषण दुख की कातरता भी
कर पाए ना अधीर
मानस - मंथन आकुल हो
नवनीत करुण अपनाता
मेरी भी पहचान बने
मन में छोटी - सी आशा।