SUBSTITUTION PERIOD
Happy Story Time...
Listening stories has been always fascinating for kids. Sometimes due to unavoidable circumstance school is to send you to a class to take care of children out of your schedule. It is called arrangement or substitution period. Thinking you a great manager of the children in absence of regular subject teacher, school trusts upon you to spend quality time with children. But, most of the teachers confuse how to carry substitution periods assigned to them. Well, we can convert the period into an exciting time for primary kids as HAPPY STORY TIME.
Today, I am publishing an example of a story
which primary teachers can narrate to the children focusing on UNITY IS
STRENGTH. The Story goes like this….
जानते हो बच्चों ! कोई भी व्यक्ति चाहे कितना ही योग्य हो, सक्षम हो, काबिल हो, कुछ भी कर सकने की क्षमता रखता हो, पर वह सबके साथ मिल कर काम नहीं करता या समूह में
दूसरे साथियों के साथ मिल-जुल कर नहीं रह पाता तो उसकी योग्यता का फ़ायदा उसको और
समाज को न के बराबर मिलता है।
सबके साथ मिलकर काम करने से अपनी योग्यता को खुलकर विकास पाने का अवसर मिलता है। साथियों के गुणों का लाभ भी मिलता है। अन्यथा अकेले पड़कर अपने आत्म-विश्वास में कमी आने लगती है। कभी-कभी तो प्रतिभाएँ समय के गर्त में लुप्त हो जाया करती हैं। योग्यता से भरपूर होने पर भी कई व्यक्ति अपना अस्तित्व तक खो बैठते हैं।
इस समय मुझे एक छोटा-सा उद्हरण याद आ रहा है। इसे मैं तुम लोगों को बताना चाहती हूँ। तैयार हो तो , अपने दिल और दिमाग से मेरी बात के सार को सावधानी से समझो। इसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश करना।
यह तो तुम जानते ही हो कि कौरवों और पांडवों के गुरु
द्रोणाचार्यजी थे। एक बार वे अपने राजकुमार शिष्यों को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा के
लिए जंगल में ले गए थे। सर्दियों का मौसम था। जंगल में लगे शिविरों में रात के समय
भीषण सर्दी थी। सर्दी से बचने के लिए लकड़ी के कोयलों को एक बड़ी सी अँगीठी में
जलाया गया था। पांडव राजकुमार भी कौरवों के साथ अँगीठी के पास बैठकर आग ताप रहे
थे। यह बात दुर्योधन को अच्छी नहीं लग रही थी। वह बार-बार पाण्डवों को कुछ न कुछ
कह कर अपना आक्रोश प्रकट कर रहा था। गुरुजी के समझाने पर वह उठा और पैर पटकता हुआ
कुछ दूर, अकेले जा कर बैठ गया ।
गुरुजी ने अँगीठी में से एक बड़ा सा दहकता हुआ कोयला निकाला और दुर्योधन के सामने रख दिया। कुछ देर तक तो कोयला अच्छी तरह जला पर धीरे-धीरे उसकी तेज़ी कम होती गयी। थोड़ी देर के पश्चात कोयला जो अंगारे की तरह दहक रहा था, पूरी तरह बुझ गया।
कहानी के बीच में एक विराम लेती हूँ और तुम सबको सोचने-समझने का मौका देती हूँ।
बच्चों ! देखा तुमने - दहकता हुआ अंगारा जिसका गुण है इतनी गरमी देना कि यदि भूल से भी कोई उसे छू ले तो जल जाए। जब तक वह दूसरे कोयलों के साथ मिलकर जल रहा था, उसकी उष्णता,गर्मी, तेज़ी प्रखर थी, प्रचंड थी। लेकिन जब गुरु द्रोणाचार्य ने उसे अकेले अलग स्थान पर रख दिया तो न केवल उसकी तेज़ी कम हुई बल्कि वह पूरी तरह बुझ गया। यानि अकेला पड़कर उसका अस्तित्व ही समाप्त हो गया।
गुरुजी ने अँगीठी में से एक बड़ा सा दहकता हुआ कोयला निकाला और दुर्योधन के सामने रख दिया। कुछ देर तक तो कोयला अच्छी तरह जला पर धीरे-धीरे उसकी तेज़ी कम होती गयी। थोड़ी देर के पश्चात कोयला जो अंगारे की तरह दहक रहा था, पूरी तरह बुझ गया।
कहानी के बीच में एक विराम लेती हूँ और तुम सबको सोचने-समझने का मौका देती हूँ।
बच्चों ! देखा तुमने - दहकता हुआ अंगारा जिसका गुण है इतनी गरमी देना कि यदि भूल से भी कोई उसे छू ले तो जल जाए। जब तक वह दूसरे कोयलों के साथ मिलकर जल रहा था, उसकी उष्णता,गर्मी, तेज़ी प्रखर थी, प्रचंड थी। लेकिन जब गुरु द्रोणाचार्य ने उसे अकेले अलग स्थान पर रख दिया तो न केवल उसकी तेज़ी कम हुई बल्कि वह पूरी तरह बुझ गया। यानि अकेला पड़कर उसका अस्तित्व ही समाप्त हो गया।
ठीक इसी तरह जब तुम्हें समूह में सबके साथ मिलकर काम करने का
मौका मिलता है तब तुम सब मिलकर उम्दा प्रदर्शन कर पाते हो। तुम्हारी अच्छी बातों
का फ़ायदा तुम्हारे समूह को मिलता है तो वहीं तुम्हें भी अन्य साथियों की अच्छी
बातों के सीखने का सुनहरा अवसर मिलता है। उनकी अच्छाई तुम्हारी अच्छाई से मिलकर कई
गुना ज्यादा प्रभावशाली बनती है। एक और एक मिलकर जब ग्यारह बन जाते हैं तो ढेर
सारे मिलकर कितना बनेंगे, य़ह तुम खुद सोचो।
इसके विपरीत अकेले गुणों का भंडार होते हुए भी कहीं उस अंगारे की तरह ...... इसका तुम स्वयं अनुमान लगाओ।
याद रखना तुम्हें बड़े हो कर अपने लिए, अपने परिवार के लिए, अपने समाज के लिए और अपने राष्ट्र के लिए बहुत सा काम करना है। मिल कर रहोगे तो जादुई सफलता पाओगे। आगे बढ़ते रहो... सबको साथ आने दो... कारवाँ अपने आप बन जाएगा । एकता में शक्ति है... संगठन में बल है। एक रहो... बलशाली बनो।
मेरे प्यारे नन्हें - मुन्नों ! मुझसे बातें कर, मेरी बातों को सुनकर तुम्हें कैसा लगा, ज़रूर ज़रूर लिखना। इस प्रसंग पर यदि तुम्हें भी हमें कुछ सुनाना है तो तुम्हारा बहुत-बहुत स्वागत है। तुम मुझे English में भी लिख सकते हो।
प्यार से ...
तुम्हारी नारायणी मैम।
इसके विपरीत अकेले गुणों का भंडार होते हुए भी कहीं उस अंगारे की तरह ...... इसका तुम स्वयं अनुमान लगाओ।
याद रखना तुम्हें बड़े हो कर अपने लिए, अपने परिवार के लिए, अपने समाज के लिए और अपने राष्ट्र के लिए बहुत सा काम करना है। मिल कर रहोगे तो जादुई सफलता पाओगे। आगे बढ़ते रहो... सबको साथ आने दो... कारवाँ अपने आप बन जाएगा । एकता में शक्ति है... संगठन में बल है। एक रहो... बलशाली बनो।
मेरे प्यारे नन्हें - मुन्नों ! मुझसे बातें कर, मेरी बातों को सुनकर तुम्हें कैसा लगा, ज़रूर ज़रूर लिखना। इस प्रसंग पर यदि तुम्हें भी हमें कुछ सुनाना है तो तुम्हारा बहुत-बहुत स्वागत है। तुम मुझे English में भी लिख सकते हो।
प्यार से ...
तुम्हारी नारायणी मैम।
Story telling is one of the constructive ways to substitution period. Some other ways to manage the substitution periods may be-
1. Conducting a quiz programme
2. Word Antykshari game
3. Poem Antyakshari game
4. Write story in form of art /drawing &
colour it.
5. Write poem in form of art /drawing and to
colour it.
6. One minute game- Write the names as many as
you can in one minute of-
Flowers, Friends of the class, Birds,
Animals, Insects, Monuments, People who help us, text books of all subjects, films, models of cars, transport etc…..
7. Recitation of poems.
8. Enlisting the known words from the lesson
9. Sudoku
10. Maize
words in Hindi & English
Your suggestions are always welcome.... Please share.
Bye...Take care.
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Dear Primary teacher,
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Thanks.